संस्कार निर्माण

अपने बच्चों की ऐसी आदतें जो हमें पसंद नहीं हैं, और जिसके लिए हम उन्हें दोष देते है, उन्हें दोष देने से पहले क्या हम खुद को देखते है कि कहीं वही आदतें हमारी भी तो नहीं हैं, कहीं उनकी इन बुरी आदतों के जिम्मेदार हम खुद तो नहीं हैं,

क्योंकि हम बच्चों को जैसा माहौल देंगे बच्चे उसी माहौल में ढलेंगे। इसीलिए अपने बच्चों के आदर्श आप खुद बनिए, क्योंकि बच्चे की पहली पाठशाला घर और पहले शिक्षक उसके घर वाले ही होते है,

ये कहना की उसकी पहली शिक्षक सिर्फ मां है और हम सारी जिम्मेदारी मां पर छोड़ दें, ये बिलकुल ठीक नहीं है, ये सिर्फ और सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों से भागने का एक रास्ता निकाल लिया है हम पुरुषों ने, और कोई बात होती है तो बच्चे की मां से ये कहना बहुत आसान होता है कि बच्चे को तुमने ही बिगाड़ रखा है।

बच्चों की गलतियों पर उन्हें डाटने या दंड देने से अच्छा है की उनको शांति से ये समझाने का प्रयास किया जाए कि जो गलती उन्होंने किया है या कर रहे हैं, उसके अच्छे या बुरे परिणाम का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा,

और अगर हम उन्हें कुछ उदाहरण दे कर अपनी बात समझा सकें तो ये ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि किसी की आदतों को बदलने से अच्छा होगा कि उसके विचारों को बदला जाए, एक बार विचार बदल गए तो आदतें तो अपने आप बदल जाएंगी।

Advance guru ✍️✍️✍️✍️✍️✍️ अमित शुक्ल थिंकर