एक सुखमय और शांतिमय जीवन के लिए यदि हम स्वयं पर नियंत्रण और स्व अनुशासन को अपने जीवन का आधार बना लें तो जीवन में सुख और शांति स्वतः ही आ जाएगी इसे कही अन्यंत्र नहीं खोजना पड़ेगा I
स्वयं पर नियंत्रण से तात्पर्य हमारी ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों पर नियंत्रण है क्योकि मनुष्य जीवन में जो कुछ भी सही या गलत करता है उसके पीछे इन्हीं इन्द्रियों का हाथ होता है, इसीलिए अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण बहुत ही आवश्यक है, इन्द्रियों पर नियंत्रण आसान नहीं है लेकिन कहते है न कि जीवन में अगर ठान लिया जाये तो कोई कार्य मुश्किल भी नहीं है बस जरूरत है तो एक दृढ संकलप की और इन्द्रियों पर स्वतः ही हमारा नियंत्रण प्रारम्भ हो जायेगा क्योकि “संकल्प से ही सिद्धि” मिलती है बिना संकल्प कुछ भी पाना आसान नहीं होता I
अगर बात स्व अनुशासन की करें तो इसका तात्पर्य हमरे जीवन में नियमों से सम्बंधित है क्योकि जब तक जीवन में कोई नियम ही नहीं होंगे तब तह अनुशासन की स्थापना संभव नहीं है, अनुशासन की पहली सीढ़ी ही नियम हैं, नियमों के नींव पर ही अनुशासन की इमारत खड़ी की जा सकती है, इसीलिए हमारे जीवन में कुछ नियम बहुत जरूरी है जैसे, रात को सोने के नियम, सुबह उठने के नियम, खाने के नियम, पीने के नियम, बात व्यव्हार के नियम आदि I